PIB Delhi

आज मेरा मन पूरी तरह से अभिभूत है।आज वो पल मेरे जीवन में आया है, जिसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी। नमो घाट का लोकार्पण स्थान पर,इस पावन दिवस पर, मेरे हाथों से होना, मुझे बहुत बड़े दायित्व का बोध कराता है।

काशी की पावन धरती को मेरा प्रणाम। अद्भुत महापर्व है ये। त्रिवेणी संगम है। सनातन परम्परा की तीन धाराओं का सुखद संयोग है। काशी की इस पावन भूमि से सभी देशवासियों को देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। और कैसा संयोग है आज ही के दिन सिख धर्म के संस्थापक, जैसा माननीय हरदीप पुरी जी ने कहा, प्रथम गुरू, श्री गुरू नानक देव जी, जिनको कौन नहीं जानता, जिनकी बाते पूरे देश और दुनिया में फैली हुई है। उनका 555वा प्रकाश पर्व है। जो मेरा नया निवास है दिल्ली में, उपराष्ट्रपति का, उसी के सामने, दायनी तरफ, प्रमुख गुरुद्वारा है हरदीप जी। मेरे निवास के सामने। वहां की चमक धमक मैं आज देख कर आया हूं। इस प्रकाश पर्व की चमक धमक मैने देश के हर कोने में देखी है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल होते हुए देखी है। यह संयोग है कि प्रकाश पर्व भी आज है। मेरी सभी सिख भाई बहनों को प्रकाश पर्व की अनेक शुभकामनाएं।

अमृतकाल की सबसे बड़ी सीख है कि जिन लोगों ने देश के लिए त्याग किया हमारे उत्थान और आजादी में योगदान दिया,जिनको सदैव याद पहले करना चाहिए था, उनको याद किया गया और आज का दिवस पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

अपना भारत बदल रहा है। अकल्पनीय तरीके से बदल रहा है। जो सोचा नहीं वो देश में संभव हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में और उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री योगी जी की तपस्या से जो बदलाव हो रहा है, दुनिया अचंभित है। जल हो, थल हो, आकाश हो, अंतरिक्ष हो, भारत की बुलंदियों को दुनिया सराह रही है और यहां देख कर मुझे लगता है कि हमारी जो सांस्कृतिक विरासत है, जो दुनिया में अनूठी है, 5000 साल से ज्यादा की है, उसका संरक्षण, उसका सर्जन, किस तरीके से हो रहा है। मैं भी कुछ वर्षों पहले यहां आया था और जो आज देख रहा हूं मुख्यमंत्री जी, उसकी कल्पना करना ही मुश्किल था।

भाइयों और बहनों, हमारी सांस्कृतिक जड़ें बहुत जरूरी हैं, हमें जीवंत रखती हैं। भारत सनातन की भूमि है, काशी इसका केंद्र है। सनातन में विश्व शांति का संदेश है। सनातन सभी को समाहित करता है। सनातन विभाजनकारी ताकतों का विरोध करता है।

सनातन राष्ट्रधर्म और भारतीयता का प्रतिबिंब है। हमें सदैव याद रखना चाहिए कि हम भारतीय हैं और हमें भारत में अटूट विश्वास है! राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है। किसी भी परिस्थिति में राष्ट्रहित को किसी और हित से हम नहीं दबा सकते।

सनातन हमको एक सीख देता है, दृढ़ रहने की, एक रहने की, मजबूत रहने की। और आज के समय में चुनौतियों को देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है कि सनातन की मूल भावना में हमारा विश्वास हो। हमें संकल्पित होना चाहिए कि भारत जो तीव्र गति से विकास यात्रा पर अग्रसर है और ऐसी विकास यात्रा जो आज दुनिया की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति है, आने वाले एक दो वर्ष में दुनिया की तीसरी महाशक्ति होगी।

मैं आपको दो बातों की ओर ले जाना चाहता हूँ। स्वदेशी का भाव अपने में जागृत करें। स्वदेशी हमारी आजादी का विशेष अंग रहा है। यहाँ देखिए स्वदेशी दीप देश की मिट्टी, तेल और रुई का प्रतीक है। एक दीप से अनेक दीप।  स्वदेशी भाव का जागरण और प्रसार।

स्वदेशी जागरण समृद्धि का मार्ग है।  इसके नतीजे क्या होते हैं –  आत्मनिर्भरता, विदेशी मुद्रा का बचाव और स्वदेशी रोज़गार का फैलाव। इसमें हर व्यक्ति योगदान कर सकता है। वैश्विक व्यापार का आधार हम क्या आयात करते हैं, उसे स्वदेशी को मूल मंत्र मंत्र मन में रखते हुए करना चाहिए।

सामाजिक समरसता हमारे सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रहा है। इस देश में कभी भी किसी ने आक्रमण की नहीं सोची है। आक्रमणकारियों को हमने समाहित किया है। हमारी संस्कृति हमें प्रेरणा देती है सभी को साथ लेकर चलें। भारत सामाजिक समरसता की नींव है। दुनिया को बड़ा संदेश देती है। मानवता का सबसे बड़ा धर्म क्या है? सामाजिक समरसता होनी चाहिए। हमारे बीच मनभेद हो सकते हैं, मतभेद भी हो सकते हैं, मनभेद कम से कम होने चाहिए, कोशिश करनी चाहिए न हों। पर जब राष्ट्र हित के मामले में हम कुछ लोगों को देखते हैं कि वो इसको सर्वोपरि नहीं रखते हैं, तो देश में चुनौती का वातारण बनता है। उस वातावरण के प्रति सजग रहने के लिए हमारी सांस्कृतिक माला जो है, हम सबको उसी का हिस्सा रहना है। मैं आपसे आग्रह करूंगा और हमारी संस्कृति की ये बेमिसाल पूंजी है, सौहार्द पूर्ण संवाद रखिए। परिजनों से संपर्क रखे, जहां भी रहते हैं आस-पड़ोस का ध्यान  रखें।

By admin